जागरण संपादकीय ब्लॉग
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कुछ काम से अजय जी को फ़ोन मिलाया तो बड़े दुखी थे, कहा निर्मल पाण्डेय की मौत हो गई ही उन्ही पर लिख रहा हूँ. मैं भी स्तब्ध रह गया, यह सुनकर . एक कलाकार अब समाचार बन कर रह गया. मैंने निर्मल पाण्डेय की ज्यादा फिल्में नहीं देखी है, लेकिन जो भी देखा बस उसका कायल हो गया. एक majha हुआ रंग मंच का कलाकार जो अपने किरदार मैं डूब जाता था, एसा की शायद ही उसकी कोई दूसरी पहचान हो. अब हमारे बीच नहीं है. क्या कारन हो सकता है उनके असमय मौत का. शायद तनाव ? आज के इस दौर मैं इन जैसे कलाकारों को bahut ही ज्यiदा संघर्ष करना पड़ रहा है. एक तरफ सोसीअल स्तातुस तो दूसरी तरफ काम की कमी. आदमी मरे नहीं तो क्या करे.
इश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. आज सचमुच एक कलाकार की मौत हुई है.
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